झीलों की नगरी उदयपुर का इतिहास का इतिहास जाने इस ब्लॉग में हमारे साथ
उदयपुर राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है इसे प्यार से झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां देश-विदेश के सभी लोग घूमने आते हैं। भारत का एक ऐसा शहर है जो अपनी अद्भुत झीलों, भव्य महलों, ऐतिहासिक किलों और समृद्ध संस्कृति के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसे प्यार से City of Lakes कहा जाता है। अरावली पर्वत श्रृंखला से घिरा यह उदयपुर शहर न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि राजस्थानी संस्कृति और शौर्य की भूमि के रूप में भी जाना जाता है। इसी शहर में महाराणा प्रताप ने अंतिम सांस ली थी। मेवाड़ की आन बान शान महाराणा प्रताप यही पर अपना अंतिम समय बिताया था
उदयपुर का इतिहास
उदयपुर का इतिहास बहुत ही लंबा चौड़ा है इसे कुछ शब्दों में बयां करना काफी मुश्किल है पर जितना हो सके उतना हम लाफजो में बयां करने की कोशिश करेंगे। उदयपुर की स्थापना मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने सन् 1559 में की थी। यह मेवाड़ के पहले राजा थे। जब मुग़लों ने चित्तौड़गढ़ पर हमला किया, तब महाराणा उदयसिंह ने अपने नए राज्य की राजधानी के रूप में इस सुंदर झीलों वाले क्षेत्र का चयन किया। राजा उदयसिंह ने उदयपुर में बहुत से बड़े-बड़े महल भी बनवाये थे। इस प्रकार उदयपुर मेवाड़ की नई राजधानी बना। यह शहर राजपूताना वीरता और गौरव की निशानी है। महाराणा प्रताप जैसे महान योद्धा ने यहीं से मुग़ल बादशाह अकबर के खिलाफ संघर्ष किया और हल्दीघाटी युद्ध (1576) में अपना पराक्रम दिखाया। हल्दीघाटी उदयपुर से मात्र 60 से 70 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है और वहां की मिट्टी अभी भी हल्दी जैसे रंग में रंगी हुई है इसीलिए उसे हल्दीघाटी कहा जाता है।
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| सिटी पैलेस (City Palace) |
उदयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल
उदयपुर अपने हर कोने में एक कहानी समेटे हुए है। उदयपुर में हर एक जगह मन मोह लेने वाली होती है इसलिए उदयपुर मनमोहित कर देता है। यहाँ के महल, झीलें और मंदिर पर्यटकों को अद्भुत अनुभव देते हैं। आपको बताते हैं कुछ महलों और झीलों और मंदिरों इसके प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में:
1. सिटी पैलेस (City Palace)
अरावली पर्वत की पृष्ठभूमि में स्थित सिटी पैलेस राजस्थान का सबसे बड़ा महल है। इसे महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने बनवाया था और उनके उत्तराधिकारियों ने इसमें कई हिस्से जोड़े। महल के अंदर की नक्काशी, शीशे का काम, संगमरमर के फर्श और सुंदर बालकनियाँ इसकी राजसी भव्यता दर्शाती हैं। यहां से पिचोला झील का नजारा बेहद मनमोहक दिखाई देता है। सिटी पैलेस की खास बात यह है कि अभी भी उसमें राजा के वंशज रहते हैं और लक्ष्यराज जी अभी फिलहाल में सिटी पैलेस में ही रहते हैं और सिटी पैलेस में अंदर जाने के लिए कुछ टिकट भी लिया जाता है और विदेशी लोगों के लिए वह टिकट का पैसा थोड़ा ज्यादा लिया जाता है।
2. पिचोला झील (Lake Pichola)
यह कृत्रिम झील 1362 में बनवाई गई थी। सूर्यास्त के समय यहां नौका विहार (Boating) एक अविस्मरणीय अनुभव होता है। झील के बीच में बने जग निवास पैलेस (अब लेक पैलेस होटल) और जग मंदिर इसकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं। पिछोला पर जो शाम का एक अद्भुत नजारा होता है इसको देखने के लिए बहुत से लोग वहां पर शाम के समय मौजूद होते हैं और यह नजारा बहुत से लोग अपने कमरे में कैद करके अपने साथ अपनी यादों में जोड़ते हैं।
3. फतेह सागर झील (Fateh Sagar Lake)
यह झील महाराणा फतेह सिंह के नाम पर बनी है। इसे “उदयपुर का दिल” कहा जाता है। झील के बीच में स्थित नेहरू पार्क और सूर्योदय का दृश्य यहाँ पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। भारत के किसी भी कोने से जो भी लोग उदयपुर आते हैं वह एक ने एक बार फतेहसागर जरूर जाते हैं अगर आप फतेहसागर नहीं जाते हो तो आपके उदयपुर भ्रमण की यात्रा अधूरी मानी जाती है इसीलिए फतेहसागर जाना बहुत ही जरूरी है अगर आप उदयपुर देखने आए हो तो एक बार फतेहसागर जरूर जाएं।
4. सहेलियों की बाड़ी (Saheliyon Ki Bari)
यह उद्यान रानियों और राजकुमारियों के लिए बनाया गया था। इसमें बने फव्वारे, संगमरमर की छतरियाँ और हरे-भरे पेड़ उदयपुर की शाही जीवनशैली को प्रदर्शित करते हैं। यह उदयपुर का बहुत ही बड़ा गार्डन है और इसमें फव्वारे हमेशा चालू ही रहते हैं। और यही सबसे प्यारा दृश्य है शैलियों के बारे में देखने लायक।
5. जगदीश मंदिर (Jagdish Temple)
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और 1651 में महाराणा जगत सिंह ने इसका निर्माण करवाया था। मंदिर की स्थापत्य कला और पत्थरों पर की गई नक्काशी देखने लायक है। जगदीश मंदिर में जो दृश्य रात्रि के समय होता है यहां पर विदेश के सभी लोग मौजूद होते हैं और यहां आरती में आते हैं और वहां से फिर कुछ ही दूरी पर गणगौर घाट है वहां जाकर मजे से उदयपुर को देखते हैं।
6. सज्जनगढ़ पैलेस (Monsoon Palace)
यह महल पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और इसे मानसून पैलेस भी कहा जाता है। यहां से पूरे उदयपुर शहर और झीलों का नजारा मन को मोह लेता है। सज्जनगढ़ से आप पूरे उदयपुर शहर को देख सकते हैं और यह बहुत ही ऊंचाई पर मौजूद है और सज्जनगढ़ में जाने के लिए कुछ टिकट भी लिया जाता है और यहां मानसून के समय आप आते हो तो आपको ऐसा महसूस होता है जैसे आप बादलों से ऊपर आ चुके हो और बादल आपके नीचे नजर आएंगे और इतना शानदार नजारा होता है यह देखने में बहुत ही अच्छा बहुत ही प्यारा लगता है इसलिए उदयपुर आप आ रहे हो और मानसून के समय अगर उदयपुर आते हो तो एक में एक बार सज्जनगढ़ जरूर जाए।
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| पिचोला झील (Lake Pichola) |
संस्कृति और परंपरा
उदयपुर की संस्कृति राजस्थानी परंपराओं और लोककला से गहराई से जुड़ी है। यहाँ के लोग रंग-बिरंगे वस्त्र पहनते हैं, लोकगीत और लोकनृत्य जैसे घूमर और गैर यहाँ की पहचान हैं। हर साल यहां गंगौर और तीज बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं। और परंपरा की एक यह भी बातें यहां सभी लोग मिलजुल के रहते हैं और सर्दी के समय एक स्पेशल मिला भी लगाया जाता है उसको शिल्पग्राम मेले के नाम से जाना जाता है और उसमें ले मैं भी संस्कृति और परंपरा की कहानी बताई जाती है और उदयपुर में किस प्रकार से लोग रहते हैं वह भी दृश्य के माध्यम से सिखाया जाता है और दिखाया जाता है। शहर की गलियों में घूमते हुए आपको राजस्थानी संगीत की धुनें, पारंपरिक हस्तशिल्प की दुकानें और स्थानीय व्यंजनों की खुशबू एक साथ मिलती है। और यह सब देखने के लिए आपको जगदीश मंदिर कि साइड जाना पड़ेगा वहां पर यह देखने को मिल सकता है आपको।
उदयपुर के प्रसिद्ध व्यंजन
राजस्थान का प्रसिद्ध व्यंजन दाल बाटी चूरमा है तो इसीलिए उदयपुर का भी प्रसिद्ध व्यंजन दाल बाटी चूरमा ही है और भी स्पेशल बहुत सी चीज है उदयपुर में आपके खाने लायक एक बार जरूर आकर आप इन चीजों को टेस्ट करें और इनका लुकत उठाएं। उदयपुर का खानपान भी इसकी संस्कृति जितना ही समृद्ध है। यहाँ के कुछ प्रसिद्ध व्यंजन हैं
1.दाल बाटी चूरमा
2.गट्टे की सब्जी
3.केर-सांगरी
4.मावा कचौरी
5.मिर्ची बड़ा
6.लस्सी
7.रबड़ी
8.प्याज कचोरी
9.केसरी दूध
10.रसमलाई
11.पालक की सांग
12.मलाई कोफ्ता
यहां के स्थानीय रेस्टोरेंट होटल और झील किनारे की कैफे पर्यटकों को राजस्थानी स्वाद का आनंद देते हैं।
हस्तशिल्प और खरीदारी
उदयपुर अपनी पारंपरिक कला और हस्तशिल्प के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ की प्रमुख बाजारे के बारे में बताएं तो उदयापोल, हाथीपोल बाजार, दिल्ली गेट, बापू बाजार, चेतक सर्कल, परशुराम चौराहा, सेवाश्रम, आरके सर्किल,बड़ा बाजार, चित्तौड़गढ़ रोड मार्केट आदि हैं। यहां से आप राजस्थानी ज्वेलरी, बंधेज साड़ियां, पेंटिंग्स, लकड़ी और पत्थर की नक्काशी के सामान खरीद सकते हैं। वह भी बहुत ही सस्ते दाम में जो की सभी हाथों से बनाए जाते हैं इनको खरीदने के बाद आपको राजस्थान की असली सौगात मिलेगी।
कैसे पहुँचे उदयपुर
1.हवाई मार्ग: उदयपुर का महाराणा प्रताप एयरपोर्ट दिल्ली, मुंबई, जयपुर आदि से जुड़ा है। यह एयरपोर्ट उदयपुर से 15 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है देवारी डबोक में एयरपोर्ट मौजूद है वहां से आप टैक्सी से उदयपुर आ सकते हैं उसका किराया मात्र 400 से ₹500 लिया जाएगा।
2.रेल मार्ग: उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से सीधा जुड़ा है। सिटी रेलवे स्टेशन बहुत ही बड़ा रेलवे स्टेशन है जहां से आप देश के किसी भी कोने में जा सकते हो और इसी के पास उदयपुर में एक और रेलवे स्टेशन है उसका नाम राणा प्रताप है वह भी उदयपुर सिटी में ही मौजूद है।
3.सड़क मार्ग: राष्ट्रीय राजमार्ग के जरिए जयपुर, अहमदाबाद और इंदौर से बस या कार द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। उदयपुर में न 48 हाईवे मौजूद है और सिक्स लाइन हाईवे भी उदयपुर से ही गुजरता है तो इसीलिए बस या कर से आने के लिए आपको कुछ भी समस्या नहीं आएगी।
उदयपुर घूमने का सही समय
यूं देखा जाए तो उदयपुर घूमने के लिए कोई भी सही समय नहीं है सभी प्रकार से मौसम इसमें उदयपुर शहर के अनुकूल ही है। उदयपुर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और झीलों की सुंदरता अपने चरम पर होती है। गर्मी के महीनों में तापमान अधिक रहता है, लेकिन मानसून में झीलों और पहाड़ियों का दृश्य बेहद आकर्षक लगता है। गर्मी के दिनों में ऐसा है कि थोड़ी जिलों में पानी थोड़ा काम हो जाता है इसलिए वह जिले इतनी प्यारी नहीं लगती है बाकी तो हर एक समय अच्छा ही है उदयपुर में आप कभी भी आ सकते हो घूमने के लिए कोई समस्या नहीं जाएगी आपको।
निष्कर्ष
उदयपुर को एक शहर समझना आपकी यह बहुत बड़ी भूल हो सकती है एक बार उदयपुर शहर आकर देखिए आपको महसूस होगा असली आनंद टो उदयपुर शहर में ही है। उदयपुर सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि राजस्थानी संस्कृति, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है। यहाँ की झीलें, महल और परंपराएँ हर पर्यटक को राजसी एहसास कराती हैं। चाहे आप इतिहास प्रेमी हों, फोटोग्राफर हों या बस सुकून की तलाश में हों — उदयपुर हर किसी के लिए किसी सपनों की दुनिया से कम नहीं। एक बार उदयपुर आकर देखो उदयपुर को।
शीर्षक सुझाव
“उदयपुर: झीलों की नगरी जहाँ इतिहास और सुंदरता मिलते हैं उदयपुर को राजस्थान का स्वर्ग भी कहा जाता है राजस्थान का मोती – उदयपुर की कहानी झीलों, महलों और परंपरा की जुबानी
पधारो म्हारे देश उदयपुर में


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