सेमारी, उदयपुर में गौ रक्षा आंदोलन
राजस्थान के उदयपुर जिले का गांव सेमारी इन दिनों बहुत चर्चा में है। कारण यह है—यहां चल रहा गौ रक्षा आंदोलन, जिसने न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे मेवाड़ क्षेत्र में एक नई सामाजिक चेतना को जन्म दिया है। यह आंदोलन केवल गायों की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह धार्मिक आस्था, ग्रामीण एकता और पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक बन चुका है। इस आंदोलन में सभी ग्रामीणों का काफी सहयोग है इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए।
आंदोलन की शुरुआत कैसे हुई
सेमारी क्षेत्र में वर्षों से गायों की रेलवे ट्रैक पर हो रही दुर्घटना। यह ट्रैक उदयपुर से अहमदाबाद चलने वाली ट्रेन के लिए बनाया गया है। खुले में घूमती आवारा गायें और सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनने वाली गौवंश की स्थिति चिंताजनक थी। गांव के कुछ युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर इस समस्या पर आवाज उठाई।
शुरुआत में कुछ लोगों ने इसे “छोटी पहल” समझा, लेकिन धीरे-धीरे आसपास सभी लोगों ने इस चीज के लिए आवाज उठाई तो एक पद मुद्दा बन गया। गांव के बुजुर्ग, किसान, महिलाएँ और छात्र जुड़ने लगे, तो यह एक पूर्ण आंदोलन का रूप लेने लगा।
इस आंदोलन की प्रेरणा “गौमाता ही संस्कृति की आत्मा है” इस विचार से मिली। कार्यकर्ताओं का मानना है कि गाय केवल एक पशु नहीं, बल्कि भारत की कृषि और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
भारतीय संस्कृति में गाय को माता का भी दर्जा दिया गया है इसलिए गौ माता कहा जाता हैं इसीलिए सभी ने इस चीज के लिए बहुत पहल की और सभी का कहना यह है कि दोनों तरफ पर तारबंदी की जाए उसे गाय रेलवे ट्रैक पर ना आए
मुख्य उद्देश्य
सेमारी का गौ रक्षा आंदोलन केवल गायों को बचाने के लिए नहीं, बल्कि एक समग्र सुधार अभियान है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं —
1. आवारा गायों की सुरक्षा: सड़कों और खेतों में भटकने वाली गायों को सुरक्षित स्थान दिलाना।
2. स्थायी गौशाला की स्थापना: एक ऐसा केंद्र बनाना जहां बीमार और वृद्ध गायों की देखभाल की जा सके।
3. स्थानीय प्रशासन का सहयोग: सरकार से आर्थिक सहायता और भूमि आवंटन की मांग।
4. गौ तस्करी और अवैध कटाई पर रोक: पुलिस और सामाजिक संगठनों के सहयोग से कठोर कार्रवाई।
5. युवा पीढ़ी में जागरूकता: स्कूलों और कॉलेजों में गौ संरक्षण पर जनचेतना अभियान।
आंदोलन का स्वरूप
लोग अपने समय और संसाधन देकर इसमें योगदान दे रहे हैं। महिलाएँ प्रतिदिन कुछ रोटी गाय के लिए बचाती हैं। युवा सोशल मीडिया के माध्यम से आंदोलन की जानकारी फैला रहे हैं। कुछ व्यापारी वर्ग आर्थिक सहयोग दे रहे पानी की व्यवस्था हो सके।
पर्यावरण और कृषि से संबंध
सेमारी का आंदोलन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी उपयोगी है। गाय के गोबर और मूत्र से बनने वाली जैविक खाद खेती के लिए वरदान साबित हो रही है। इससे रासायनिक खादों पर निर्भरता घट रही है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ रही है। इस आंदोलन ने किसानों को फिर से स्वदेशी कृषि पद्धतियों की ओर लौटने की प्रेरणा दी है।
जनता की भूमिका
सेमरी के आसपास के लोगों ने 9 अक्टूबर को एक बहुत बड़ा आंदोलन सेमारी रेलवे स्टेशन पर किया था उसमें बहुत ही बड़े नेता भी शामिल हुए थे और गौरक्षक के रूप में अपना नाम प्रसिद्ध कर चुके रौनक चौधरी भी वहां पर आए थे। सेमारी के लोगों ने यह दिखा दिया है कि यदि समाज संगठित हो जाए तो कुछ भी आंदोलन संभव है। गांव के हर वर्ग ने इसमें योगदान दिया चाहे वह छात्र हो, व्यापारी, किसान या गृहिणी। कई बार लोगों ने अपने त्यौहारों या पारिवारिक समारोहों के खर्च में कटौती करके गौशाला के लिए दान दिया। यह एक लोक आंदोलन बन चुका है जिसमें “धर्म और समाज” दोनों का समन्वय दिखाई देता है।
प्रशासन और मीडिया का ध्यान
धीरे-धीरे सेमारी के इस आंदोलन की गूंज उदयपुर शहर तक पहुँची। प्रशासन ने भी लोगों की भावनाओं को देखते हुए कहां है कि जल्द ही इस बात का निवारण किया जाएगा। स्थानीय मीडिया और सोशल मीडिया पर आंदोलन की तस्वीरें, वीडियो और रिपोर्ट लगातार वायरल हो रही हैं। कई समाजसेवी संगठनों ने भी इस मुहिम को समर्थन दिया है।
सेमारी, उदयपुर में गौ रक्षा आंदोलन चुनौतियाँ भी हैं
हर आंदोलन की तरह सेमारी के गौ रक्षा आंदोलन के सामने भी कुछ कठिनाइयाँ हैं प्रशासनिक प्रक्रियाओं में देरी अभी तक प्रशासन द्वारा इतनी गायों के साथ दुर्घटना होने के बाद भी कुछ भी प्रक्रिया नहीं की है। अभी तक रेलवे ट्रैक पर कुछ भी काम नहीं हुए हैं लेकिन इन सबके बावजूद, लोगों की आस्था और समर्पण इस आंदोलन को आगे बढ़ा रहा है। और लोगों का यही कहना है कि जल्द से जल्द सरकार रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ तारबंदी करें।
भविष्य की दिशा
सेमारी के युवाओं ने अब “गौ रक्षा से ग्राम विकास तक” का नारा दिया है। उनका लक्ष्य है कि आने वाले समय में हर गांव में एक छोटा गौ केंद्र बने वहां पर आवारा गोमती गाय पालने की व्यवस्था की जाए और उनकी देखभाल करने के लिए सरकार की ओर से भर्ती निकली जाए और सरकारी कर्मचारी वहां नियुक्त किया जाए। गाय के उत्पादों से रोजगार सृजन हो गौशाला का दूध विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों को पिलाया जाए इसे उनका मानसिक संतुलन अच्छा रहेगा गांव आत्मनिर्भर बने और जैविक खेती को बढ़ावा मिले गाय का माल और मूत्र दोनों को उपयोग में लिया जाए
यदि यह अभियान सफल होता है, तो सेमारी पूरे राजस्थान के लिए प्रेरणा बन सकता है।
निष्कर्ष
सेमारी, उदयपुर का यह गौ रक्षा आंदोलन केवल गायों की सुरक्षा का प्रयास नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, धर्म और पर्यावरण के संरक्षण की एक नई पहल है। इसमें जुड़े सभी लोगों का दिल से हम आभार व्यक्त करते हैं। इसने यह साबित किया है कि जब समाज जागता है, तो किसी भी बदलाव से असंभव को संभव किया जा सकता है। गांव की मिट्टी से उठी यह आवाज आने वाले समय में पूरे देश में “गौ सेवा – देश सेवा” का संदेश फैलाएगी। एक बहुत बड़ा आंदोलन के रूप में उबर के सामने आएगा।
लेखक की टिप्पणी
सेमारी के लोग आज एक मिसाल पेश कर रहे हैं। यदि हर गांव इसी तरह एकजुट होकर अपनी परंपराओं, संस्कृति और पर्यावरण के लिए आगे आए, तो भारत का ग्रामीण जीवन फिर से अपनी असली पहचान पा सकता है। और इस आंदोलन से पता चल जाएगा कि गांव के लोग कितने जागरुक है अपनी गौ सेवा के लिए गोरक्षा के लिए इस आंदोलन से पूरे देश को यह बता दिया है कि ग्रामीण लोग क्या कुछ कर सकते हैं जब बात अपनी संस्कृति और परंपरा पर आ जाए तो। यह आंदोलन शुरुआत में कुछ छोटा नजर आ रहा था पर अब यह आंदोलन काफी गति पकड़ चुका है और यह पूरे देश भर में चर्चा का एक विषय बन चुका है तो सरकार को जल्द से जल्द रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ तारबंदी करनी होगी और गाय की रक्षा करनी पड़ेगी।

