राजस्थान का मानसून 2025 - राजस्थान में मानसून की शुरुआत हो चुकी है। राजस्थान जॉब भारत का सबसे बड़ा राज्य वह अपनी थार के मरुस्थल के वजह से भी जाना जाता है राजस्थान में कम वर्षा होने के वजह से भी जाना जाता है। पर राजस्थान में अब मानसून दस्तक दे चुका है राजस्थान की सूखी धरती पर जीवन की नई लहर ले आया है 2025 का मानसून
2025 का मानसून राजस्थान के किसानों और पर्यटकों और आम लोगों के लिए राहत और नई उम्मीद लेकर आया है राजस्थान में मानसून की स्थिति प्रभाव और उससे जुड़ी कुछ बातों पर हम ध्यान आकर्षित करेंगे।
राजस्थान में मानसून की शुरुआत
राजस्थान में मानसून सामान्यतः या ज्यादातर जून के आखिरी सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले महीने तक प्रवेश करता है और इस बार भी कुछ ऐसा ही नजर आया है। भारतीय मौसम विभाग का कहना है या मानना है कि 2025 में राजस्थान में मानसून ने 26 जून को कोटा संभाग में प्रवेश लिया है और धीरे-धीरे पूरे राज्य में यह मानसून फैल जाएगा।
इस बार मानसून की शुरुआत पिछले कुछ सालों से जल्दी हुई है जिससे किसानों को समय पर बुवाई करने का अवसर मिलेगा और खासकर पूर्वी राजस्थान में कोटा बूंदी सवाई माधोपुर और भरतपुर जिलों में अच्छी वर्षा देखने को मिल सकती है इस वर्ष
इस मानसून से किसानों को कितनी राहत मिलेगी
राजस्थान का लगभग 60 से 65% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। यहां की खेती मुख्य स्रोत है राजस्थान के लोगों के लिए और खेती आमतौर पर वर्षा पर आधारित होती है। इस बार अच्छी वर्षा होने के काफी आसार नजर आ रहे हैं तो अच्छी वर्षा से किसानों के चेहरे पर मुस्कान भी आएगी और इस वर्ष मानसून में प्रमुख फसल होने वाली है जिसका प्रमुख नाम है बाजरा, ज्वार, मूंग, उड़द, और सोयाबीन की बुनाई समय पर हो सकती है
मानसून आने से कहीं जलाशय और तालाब में चलकर कर बढ़ जाता है जिससे सिंचाई की समस्या कुछ हद तक हल हो जाती है और किसानों को एक अच्छी फसल बहाने का अवसर मिलता है।
पर्यटन और प्राकृतिक सौंदर्य में वृद्धि
जब जब राजस्थान में मानसून का मौसम आता है तब तुम राजस्थान की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है निखर जाती है। राजस्थान में मानसून का बहुत सा रोल रहता है यह मानसून जब जब आता है। तो राजस्थान के पहाड़ी इलाके जैसे अरावली की पहाड़ियों को हरियाली से तक देता है और उसे राजस्थान की सुंदरता और भी बढ़ जाती है। राजस्थान के खूबसूरत झरने बैन लग जाते हैं और तापमान में भी काफी गिरावट नजर आती है। माउंट आबू ,कुंभलगढ़, रणकपुर, और उदयपुर जैसे स्थान पर पर्यटन की संख्या बढ़ जाती है।
मानसून के समय राजस्थान को किस चुनौतियों का सामना करना पड़ता है
मानसून आने से कहीं इला को और स्थान पर राहत मिलती है वहीं कहीं स्थान पर जैसे शहरी इलाकों में बहुत से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उनमें से कुछ मुख्य चुनौती पर हम विचार विमर्श करेंगे
1. अत्यधिक वर्षा के कारण जलभराव - राजस्थान के कुछ प्रमुख शहर जैसे जयपुर, कोटा, बीकानेर ,उदयपुर जैसे शहरी इलाकों में जल भराव की समस्या आम हो गई है। इन इलाकों में ड्रेनेज की व्यवस्था कमजोर होने के कारण ट्रैफिक और बीमारी बढ़ जाती है।
2. खराब फसल होने का खतरा- कभी-कभी अत्यधिक वर्षा होने से फसल को भी नुकसान होता है और कई फैसले अत्यधिक वर्षा में खराब हो जाती है। अधिकतर यह जब मानसून लंबा खींच चाय या अचानक भारी बारिश हो जाए उसे समय ऐसा होता है उसे खेती काफी प्रभावित होती है।
3. सड़क दुर्घटना - आप सभी को पता होगा बारिश के समय सड़कों के बीच कुछ गड्ढे होते हैं। उसमें पानी भर जाता है उसकी वजह से गड्ढे साफ नजर नहीं आते उसी के चलते काफी दुर्घटना भी होती है।
मानसून से पहले सरकार की तैयारी
राज्य सरकार ने 2025 के मानसून से पहले बहुत सी तैयारी कर ली है। जैसे ग्रामीण इलाकों में जल स्तर के लिए चेक डैम और तालाब की सफाई की गई थी । वही शहरी क्षेत्र में जल निकासी की व्यवस्था सुधारने के लिए प्रयास किए गए।
सरकार के कृषि विभाग की ओर से किसानों को मौसम पूर्वानुमान और सिंचाई संबंधित जानकारी मैसेज और मोबाइल ऐप के जरिए उपलब्ध कराई जा रही है।
2025 के मानसून के कुछ आंकड़े
यह जो आंकड़े बताए जा रही है मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए हैं। इसमें काम ज्यादा भी हो सकते हैं इसीलिए हम यह नहीं कह सकते कि आंकड़े दिखाए गए हैं वैसा ही कुछ होगा।
1. वर्ष 2025 में जून जुलाई की औसत वर्षा 210 मिमी होगी
2. इस बार सबसे अधिक वर्षा माउंट आबू में होगी जो कि आंकड़ों के हिसाब से 320 मिमी हो सकते हैं
3. वही सबसे कम वर्षा की बात कर तो जैसलमेर में हो सकती है 45 मिमी वर्षा जैसलमेर में होगी। इन आंकड़ों में कुछ ज्यादा या काम भी हो सकता है।
मानसून का राजस्थान पर सांस्कृतिक महत्व क्या है
मानसून का राजस्थान पर बहुत से सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व है उनमें से कुछ बिंदुओं पर हम बात करेंगे।
राजस्थान में मानसून केवल एक मौसम का बदलाव नहीं है बल्कि यह गुस्सा का समय होता है। जैसे ही बारिश का मौसम या मानसून आता है तो शासन अपने कहीं त्यौहार भी लेकर आता है तीज, गणगौर, हरियाली अमावस्या जैसे पर्व की शुरुआत होती है।
राजस्थान में मानसून एक जीवन की जरूरी धारा है वही न केवल खेती और पानी की जरूरत को पूरा करता है बल्कि राजस्थान की प्रकृति और संस्कृति को भी सौंदर्य रूप देता है। वर्ष 2025 का मानसून उम्मीद पर खरा उतरता हुआ दिख रहा है।
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